30 Powerful love married couple bible verses about marriage in hindi (Full Commentary)

Today we will talk about love married couple bible verses about marriage in Hindi. Many Christians do not know what this means. Love in a marriage is not just a feeling; it’s a commitment, a promise, and a journey we embark upon together. The Bible provides us with profound wisdom regarding love and marriage, guiding couples to cultivate a relationship filled with faith, respect, and understanding. As we read these verses, let’s open our hearts and minds to the messages God has for us in our relationships. Be in the mode of meditation as we read through God’s word.

Love Married Couple Bible Verses About Marriage in Hindi

सच्चा प्यार

सच्चे प्यार का अर्थ केवल एक दूसरे के प्रति भावनाएँ होना नहीं है। यह रोज़ाना के संघर्षों में एक-दूसरे का ख्याल रखना, और संकट में एकजुट रहना भी है। हम सभी को यह याद रखने की ज़रूरत है कि जब हम शादी करते हैं, हम न केवल एक प्रेम संबंध में प्रवेश करते हैं बल्कि एक साथी के रूप में जीवन की यात्राओं में भी शामिल होते हैं। प्रेम में धैर्य, दया और एक-दूसरे का समर्थन होता है। जब हम गहराई से प्रेम करते हैं, तो हम कठिनाइयों के बावजूद एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं। यह सच्चा प्यार है।

1 कोरिंथियों 13:4-7

“प्रेम धैर्यवान और दयालु है; प्रेम जलन नहीं करता, प्रेम घमंड नहीं करता, और आत्म-स्वार्थी नहीं होता। यह सब कुछ सहन करता है, सब कुछ विश्वास करता है, सब कुछ उम्मीद रखता है, सब कुछ सहता है।” – 1 कोरिंथियों 13:4-7

एफिसियों 5:25

“प्यारे पती, अपनी पत्नियों से प्रेम करो जैसे मसीह ने चर्च से प्रेम किया।” – एफिसियों 5:25

रोमियों 13:10

“प्रेम कभी भी बुराई नहीं करता। इसलिए प्रेम सभी कानूनों का सार है।” – रोमियों 13:10

कुलुस्सियों 3:14

“और सब कुछ से बढ़कर प्रेम, जो पूर्णता का बंधन है।” – कुलुस्सियों 3:14

व्यवस्थाविवरण 6:5

“तुम अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, अपने सारे प्राण और अपने पूरे बल से प्रेम करो।” – व्यवहार 6:5

संबंध की ताकत

संबंध की ताकत हमें एकजुट करती है। जब हम एक-दूसरे के लिए प्यार दिखाते हैं, यह केवल हमें मजबूत नहीं बनाता; बल्कि इससे हमारे चारों ओर के लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। एक रिश्ते में प्रेम का स्थान न केवल रिश्ते को बढ़ाता है, बल्कि हमारे आसपास का माहौल भी बेहतर बनाता है। जब हम प्यार से भरे होते हैं, तो हम कठिनाइयों का सामना करने की ऊर्जा पाते हैं। यही हमारी ताकत है।

गलातियों 5:13

“आपको स्वतंत्रता के लिए बुलाया गया है; केवल इस स्वतंत्रता का प्रयोग अपनी शारीरिक इच्छाओं के लिए मत करो, बल्कि एक-दूसरे की सेवा करो।” – गलातियों 5:13

1 थिस्सलुनीकियों 5:11

“इसलिये एक दूसरे को प्रोत्साहित करो और एक-दूसरे के निर्माण में लगे रहो, जैसे आप कर ही रहे हैं।” – 1 थिस्सलुनीकियों 5:11

पेडर्स 4:8

“प्यार सबसे पहले के कारणों में से एक है; तब से एक दूसरे के प्रति गर्मजोशी और दया के साथ व्यवहार करें।” – 1 पेडर्स 4:8

इफिसियों 4:2

“आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार विनम्रता और सौम्यता से एक दूसरे के साथ व्यवहार करें।” – इफिसियों 4:2

रोमियों 15:5

“अब, जो हमें देने की शक्ति देता है, वह हमें एक ही दृष्टिकोण से एक-दूसरे के साथ उसी तरह बरतने की शक्ति दे।” – रोमियों 15:5

स्वीकृति और समझ

हम सभी अलग-अलग हैं; हमारी सोच, हमारी पसंद और हमारी आदतें भी अलग होती हैं। शादी में सफलता का एक महत्वपूर्ण भाग अपने साथी की स्वीकृति है। हमारे पति या पत्नी की असामान्यताओं को अपनाना और केवल झगड़ने के बजाय समर्पण और समझ के साथ मिलकर चलना होता है। हम सभी को यह समझना चाहिए कि अनुकूलित परिस्थितियों में भी प्रेम से एक-दूसरे के विचारों और भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

कुलुस्सियों 3:13

“जब तुम एक दूसरे के खिलाफ कुछ करते हो, तो एक-दूसरे को क्षमा करो। जैसे प्रभु ने तुमको क्षमा किया, वैसे ही तुम भी करो।” – कुलुस्सियों 3:13

इफिसियों 4:32

“हम एक-दूसरे के प्रति कृपालु और दयालु रहें, जैसे भगवान ने हमें मसीह में क्षमा किया है।” – इफिसियों 4:32

रोमियों 14:1

“कमजोर विश्वास वाले को तुम अपने साथ ले लो, लेकिन न तो तुम उसे निंदा करने की अनुमति दो।” – रोमियों 14:1

इफिसियों 5:21

“एक-दूसरे के प्रति भय के कारण, मसीह की आज्ञा से एक-दूसरे के प्रति समर्पित रहें।” – इफिसियों 5:21

1 कोरिंथियों 1:10

“परमेश्वर के प्रति समर्पित होकर सबको एक विचार और समझ में एक होना चाहिए; ताकि कोई भी आपस में विभाजन न हो।” – 1 कोरिंथियों 1:10

प्रेम का कार्य

विवाह में प्रेम का कार्य करना सिर्फ बातें करना नहीं है; यह क्रियाओं में दिखता है। यहाँ हमारे प्रियतम के लिए अपने ढंग से प्यार दिखाने की महत्ता है। जब हम प्रेम को कार्य के माध्यम से दिखाते हैं, तो हम अपने साथी के दिल में जगह बनाते हैं। छोटे-छोटे कार्य भी व्यक्ति के मन में समर्थन की भावना पैदा करते हैं। हम प्रेम का कार्य कर सकते हैं, जैसे कि उनकी पसंद का भोजन बनाना, उनकी देखभाल करना, या बस उन्हें सुनना।

गिनती 6:24-26

“यहोवा तुझे आशीर्वाद दे और तेरा संरक्षण करे। यहोवा अपना मुख तिरछा करके तुझ पर डाले और तुझ पर कृपा करे।” – गिनती 6:24-26

मत्ती 7:12

“इसलिये, जैसा तुम लोगों से चाहते हो कि वे तुमसे करें, वैसे ही तुम भी उनके साथ करो।” – मत्ती 7:12

पतंजलि 3:5

“यदि तुम्हारी इच्छा हो, तो अपने साथी के साथ संगति रखो।” – पतंजलि 3:5

क्या नया है? 1:9

“तुमको प्रेम जताने की यह शक्ति दी गई है; इसलिए प्यार करने वालों से प्रेम करो।” – क्या नया है? 1:9

2 थिमुथियुस 2:22

“युवाओं के साथ, प्रीति और धार्मिकता में अपनी पवित्रता बनाए रखो।” – 2 थिमुथियुस 2:22

सामंजस्य और संघर्ष समाधान

सामान्य समस्याएं अवश्यम्भावी होती हैं, लेकिन वे हमें जिन खोजों पर अपने प्यार को परखने का मौका देती हैं। विवाह में संघर्ष आया करना स्वाभाविक है, और इसे कैसे सामना करना है, यह सबसे महत्वपूर्ण है। हम सबके लिए यह समझना ज़रूरी है कि राग और विवादों का समाधान प्रेम से किया जा सकता है। सुनने और समझने की क्षमता का होना तथा अपने साथी की भावनाओं को संजीदगी से लेना आवश्यक है।

मत्ती 5:9

“धन्य हैं वे, जो शांति करने वाले हैं; क्योंकि वे भगवान के पुत्र कहाएंगे।” – मत्ती 5:9

रोमियों 8:28

“और हम जानते हैं कि सब चीजें उन लोगों के लिए जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, उनके भले के लिए सहयोग करती हैं।” – रोमियों 8:28

मत्ती 18:15

“यदि तुम्हारा भाई तुम्हारे खिलाफ कुछ करे, तो जा वहाँ अकेले उससे बात करो।” – मत्ती 18:15

याकूब 1:19

“इसलिये, मेरी प्रिय भाईयों, हर व्यक्ति को सुनने में तेज, बोलने में धीमा, और क्रोधित होने में धीमा होना चाहिए।” – याकूब 1:19

गली 6:1

“जिनका अधिक जिम्मेदारी है, वे प्यार से अपने भाई को सही करना चाहिए, ताकि वह फिर से सही रास्ते पर लौट सके।” – गली 6:1

संबंध में विश्वास

विश्वास हर सफल संबंध का आधार होता है। जब हम शादी के बंधन में बंधते हैं, तो हमें विश्वास रखना आवश्यक होता है। विश्वास न केवल हमारे दिलों में एक-दूसरे के प्रति सुरक्षा का एक ठोस आधार बनाता है, बल्कि यह हमें नई ऊँचाइयों तक पहुँचाता है। हमें अपने साथी पर विश्वास होना चाहिए और एक दूसरे को भरोसे के साथ पकड़ कर चलना चाहिए। इस विश्वास के साथ, हम रिश्ते में सुख का अनुभव करते हैं।

नीतिवचन 31:11

“उसका पति उसे विश्वास करता है, और वह उसे कमी नहीं करता।” – नीतिवचन 31:11

मत्ती 17:20

“यदि तुम्हारे पास राई के दाने के बराबर भी विश्वास हो, तो तुम इस पर्वत से कह सकते हो, ‘इससे यहाँ से वहाँ जाओ।'” – मत्ती 17:20

नहेमायाह 1:11

“हे प्रभु, मैं तुझसे कोमलता के साथ मेरी प्रार्थना करता हूँ।” – नहेमायाह 1:11

मत्ती 21:22

“और सब कुछ, जो तुम विश्वास से प्रार्थना करते हो, वह तुमको मिलेगा।” – मत्ती 21:22

फिलिप्पियों 4:13

“मैं उस पर विश्वास के माध्यम से सब कुछ करने की शक्ति रखता हूँ।” – फिलिप्पियों 4:13

समर्पण और प्रतिबद्धता

जब हम विवाह के बंधन में बंधते हैं, तो यह केवल प्रेम का वादा नहीं है; यह एक सच्चा समर्पण होता है जो हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में एक साथ रहने की प्रेरणा देता है। समर्पण का अर्थ है कि हम एक-दूसरे के लिए हर परिस्थिति में खड़े रहेंगे। यह प्रतिबद्धता हमें एक-दूसरे के प्रति वफादार रहने का एक मजबूत आधार प्रदान करती है। जब हम एक-दूसरे के प्रति वफादार रहते हैं, तो हम अपने मूल्यों और विश्वासों के अनुसार एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।

उपदेशक 4:9-12

“दो लोग एक से बेहतर हैं, क्योंकि वे अपने काम के लिए अच्छा पुरस्कार पाते हैं।” – उपदेशक 4:9-12

मत्ती 19:6

“इसलिए जो परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे कोई न तोड़े।” – मत्ती 19:6

लूका 16:10

“जो छोटे में वफादार है, वह बड़े में भी वफादार है।” – लूका 16:10

यशायाह 54:10

“क्योंकि पर्वत और पहाड़ हिलेंगे, पर मेरी करुणा तुमसे नहीं हिलेगी।” – यशायाह 54:10

एफिसियों 5:33

“इसलिए हर एक को अपनी पत्नी से प्रेम करना चाहिए, जैसे वह अपने आप से प्रेम करता है।” – एफिसियों 5:33

विपरीत परिस्थितियों में एकता

विपरीत परिस्थितियों का सामना करते समय हमें एक दूसरे की ताकत बनना चाहिए। विवाह की यात्रा में अनेकों ऐसी चुनौतियाँ आ सकती हैं, जो हमें हताशा या कहानी में गिरने के लिए मजबूर कर सकती हैं। लेकिन जब हम एक साथ रहते हैं, तो हम कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। एकता में ही हमारी शक्ति है। जब हम कठिन समय में एक दूसरे का साथ देते हैं, तो हमारा प्यार और भी मजबूत होता है।

फिलिप्पियों 1:27

“तुम एक ही आत्मा में, एक ही सोच के साथ खड़े रहो।” – फिलिप्पियों 1:27

रोमियों 12:12

“आशा में आनंदित रहो, संकट में धैर्य रखो, और प्रार्थना में स्थायी रहो।” – रोमियों 12:12

2 कुरिन्थियों 4:8-9

“हम हर ओर से घेर लेते हैं, परन्तु नहीं लाचार होते; संतुष्ट रहते हैं, परन्तु निराश नहीं होते।” – 2 कुरिन्थियों 4:8-9

1 पतरस 3:8

“तुम सबको एक ही विचार में, दयालुता में, सहानुभूति में, और एक-दूसरे से प्यार में अनुभव करना चाहिए।” – 1 पतरस 3:8

गुलात 6:2

“एक-दूसरे के बोझ उठाओ और इस तरह तुम मसीह की व्यवस्था को पूरा करोगे।” – गलातियों 6:2

Final Thoughts

पति-पत्नी के रूप में एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान के साथ जीने का संदेश हमें हर एक आयत में मिलता है। प्रेम में धैर्य और समझ होना आवश्यक है, जब हम एक-दूसरे के पास खड़े रहते हैं, हम किसी भी परिस्थिति को सामना करने में सक्षम होते हैं। यह हमारे जीवन की यात्रा को आनंदित बनाता है और हमारे रिश्ते को मजबूत बनाता है। हमें प्रेरित करें और हमेशा एक-दूसरे के लिए कार्य करें।

आइए हम सभी अटल विश्वास के साथ अपने प्रियजनों की देखभाल करें और अपने रिश्तों को मजबूती से बनाए रखें। हर एक चुनौती को एक अवसर के रूप में मानें। जब हम खुद को प्रेम में समर्पित करते हैं, तब हमारे रिश्तों का सार्थकता और गहराई से भरा होता है।

Further Reading

30 Bible Verses About Getting Closer To God (With Commentary)

30 Bible Verses About Removing People From Your Life (With Commentary)

30 Bible Verses About Israel (With Explanation)

30 Bible Verses About Being Lukewarm (With Explanation)

4 Ways to Encounter Grace and Truth: A Study on John, Chapter 4

Prayer Request Form